सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल! ईंधन को GST में लाने को तैयार केंद्र, जानें- एक लीटर तेल कितने का मिलेगा? Petrol-Diesel in GST
Petrol-Diesel in GST: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि सरकार पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत लाने के लिए तैयार है, अगर राज्य सरकारें इस पर सहमत हों। हरदीप सिंह पूरी ने यह भी कहा कि दुनिया के कई देशों में ईंधन की कमी और अत्यधिक मूल्य वृद्धि देखी जा रही है, लेकिन देश में ईंधन की कोई कमी नहीं है। हालांकि, यहां सवाल यह है कि जब तेल बहुत है तो वो महंगा क्यों है और GST में आ गया तो जनता को इसका क्या फायदा होगा?
पुरी ने कहा, ‘पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए राज्यों को सहमत होना होगा। अगर राज्य कदम उठाते हैं तो हम तैयार हैं। हम पूरी तरह से तैयार हैं। इसे कैसे लागू किया जाए यह दूसरी बात है। यह सवाल वित्त मंत्री से पूछा जाना चाहिए।’ बता दें कि घरेलू बाजार में जब भी ट्रांसपोर्ट फ्यूल के दाम बढ़ते हैं तो पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग उठती है। माना जा रहा है कि जीएसटी के दायरे में आने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आएगी। हालांकि, राज्य इसे जीएसटी व्यवस्था के तहत लाने के इच्छुक नहीं हैं क्योंकि इसका मतलब होगा कि पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री पर अप्रत्यक्ष कर की दरों को तय करने का अधिकार उनके पास से चला जाएगा।
केंद्र और राज्य दोनों की कमाई है तगड़ी
केंद्र और राज्य दोनों पेट्रोलियम उत्पादों से भारी मात्रा में कर कमाते हैं। केंद्र ने 2021-22 में इन उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाकर 3.63 लाख करोड़ रुपये प्राप्त किए। राज्यों ने इन उत्पादों पर वैट/बिक्री कर से 2.56 लाख करोड़ रुपये कमाए। यदि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाया जाता है, तो राज्य अपनी राजस्व आवश्यकताओं के अनुसार बिक्री कर या वैट दरों को समायोजित करने की सुविधा को खो देंगे।
इस बीच, मंत्री ने कहा कि पेट्रोलियम की कीमतों में जुलाई 2021 से अगस्त 2022 तक अमेरिका और कनाडा में 43% से 46% के साथ तेज वृद्धि देखी गई है, जबकि भारत एकमात्र ऐसा देश था जहां इस अवधि के दौरान केवल 2% की वृद्धि हुई थी। मंत्री ने कहा, ‘जब कई देश ईंधन की कमी और कीमतों में वृद्धि देख रहे हैं, तो भारत में देश के दूर-दराज के कोनों में भी ईंधन की कोई कमी नहीं है।’
GST में लाने के फायदे -
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष प्रदीप मुल्तानी ने इस साल मार्च में एएनआइ से बात करते हुए कहा था, ‘पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने से काफी मदद मिलेगी। यह सबके लिए अच्छा है। यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है।’ उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी का कई क्षेत्रों पर भारी प्रभाव पड़ता है, जो अंततः आम लोगों, विशेष रूप से गरीबों को सबसे अधिक प्रभावित करता है।
मुल्तानी फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड के अध्यक्ष ने कहा, ‘जीएसटी में पेट्रोलियम उत्पादों को लाने से व्यापक प्रभाव कम होगा। कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठा सकती हैं। अंतत: कीमतों में कमी आएगी।’
जीएसटी बैठक में भी उठा मामला -
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में पिछले साल सितंबर में पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के मुद्दे पर चर्चा हुई थी। हालांकि, परिषद ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखना जारी रखने का फैसला किया। केंद्र सरकार ने कई मौकों पर कहा है कि वह पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की संभावना के लिए तैयार है।
बता दें कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगभग 50% टैक्स होता है। अब आप लगा लें कि अगर आपके शहर में पेट्रोल 100 प्रति लीटर है तो उसमें से लगभग 50 फीसदी तो सरकारी खजाने में ही चला जाता है। यह टैक्स बहुत है, जिससे सरकारी खजानों में बढ़ोतरी होती जा रही है।
कितना सस्ता हो जाएगा Petrol-Diesel?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पेट्रोल और डीजल की कीमतें में लगभग 46 प्रतिशत तक टैक्स शामिल होता है। अब जब इसे जीएसटी के तहत लाया जाएगा कि इसके सबसे अधिक स्लैब होने पर भी इस पर महज 28% ही टैक्स रह जाएगा। इस कारण लोगों को तेल पर रकम कम देनी होगी। बताया गया कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में शामिल किया गया तो पेट्रोल लगभग 75 रुपए प्रति लीटर और डीजल करीब 68 रुपए प्रति लीटर तक हो सकता है। इसमें देखना यह होगा कि सरकार पेट्रोल-डीजल को किस जीएसटी स्लैब में शामिल करती है।
Report by Niraj Kumar Dhaker
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