खबर अयोध्या: अयोध्या फिल्म फेस्टिवल में होगा कलाकारों का जमावड़ा, होगी नयी जलक Ayodhya film festival:

प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या में काकोरी एक्शन के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां की स्मृति में राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण बेनीगंज के सभागार में दो दिन के लिए film Festival का आयोजन हो रहा है देखे इसमें क्या ख़ास होगा 👇

रिपोर्ट- नीरज कुमार धाकड़

अयोध्या: प्रभु श्री राम की भव्य नगरी अयोध्या में गुरुवार से दो दिवसीय अयोध्या #Film_Festival का आयोजन शुरू हो रहा है जिसमें कई फिल्मकारों का जमावड़ा देखने को मिलेगा. इस #Film_Festival में फोटो दस्तावेज प्रदर्शनी, सेमिनार, नाटक, #poster रंगोली, प्रतियोगिता , फैशन शो, फिल्म मेकिंग, वर्कशॉप आदि विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने को मिलेंगे. इस फ़िल्म फेस्टिवल का काकोरी एक्शन के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां की स्मृति में राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण बेनीगंज के सभागार में आयोजन हो रहा है.


दरअसल, राम मंदिर के भव्य निर्माण के साथ ही रामनगरी अब देश-दुनिया के साहित्य प्रेमियों को भी अपनी तरफ आकर्षित करने लगी है. यही कारण है कि, राम नगरी में सिनेमा और साहित्य जगत के साथ ही साथ फिल्म मेले का स्थान भी बनने लगी है. यही कारण है कि, इस फेस्टिवल में सिनेमा निर्माण से जुड़े विशेषज्ञ फिल्म बनाने की बारीकी बताएंगे. तो वहीं विभिन्न विषयों पर देश दुनिया की फिल्मों का प्रदर्शन भी जारी रहेगा. फिल्म जगत के अभिनेता फिल्म निर्माता-निर्देशक फिल्म समारोह की शोभा बढ़ाएंगे. जिसमें फिल्म एक्टर आरके सुरेश, जय श्री, गीता सरोहा, शक्ति मिश्रा ,जितेंद्र लक्ष्मी ,अय्यर रामादेवी ,इत्यादि लोग उपस्थित रहेंगे.

Khabarbaazaar Local से बात करते हुए अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के संस्थापक डॉ शाह आलम ने कहा हैं कि, इसकी शुरुआत 28 जनवरी 2006 को अयोध्या से हुई थी. पहली बार डॉक्टर आरबी राम ने ₹300 का आर्थिक सहयोग देकर क्रांति वीरों की यादों को सहेजने की इस पहल का स्वागत किया था. आजादी के आंदोलन के योद्धा और कानपुर बम एक्शन के नायक अनंत श्रीवास्तव के सुझाव पर इसका संविधान बना. तो प्रसिद्ध और सरोकार डिजाइनर अरमान अमरोही ने इसका लोगो बनाया है. साथ ही साथ शाह आलम ने बताया कि, 17 वर्ष में देश-दुनिया की बहुत सारी शख्सियत अयोध्या फिल्म फेस्टिवल की गवाह बनीं. बावजूद इसके अयोध्या से लेकर राजस्थान का थार मरुस्थल या फिर करगिल आवाम का सिनेमा पुरजोर तरीके से अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए, राजनैतिक समाज सब की सच्चाईयों को सिनेमा के जरिए सामने लाने में लगातार लगा हुआ है.

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